Thursday 9 August 2018

हुतात्मा मेजर कौस्तुभ राणे को मुंबई ने यूं किया नमन, सडक पर बिछाई गई फूलों की सेज


जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड में हुतात्मा मेजर कौस्तुभ पी. राणे का पार्थिव शरीर आज (९ अगस्त) को महाराष्ट्र में उनके घर पहुंचा। इस दौरान परिवार के सदस्यों और दोस्तों सहित हजारों की भीड उपस्थित थी। राणे मंगलवार को बांदीपोरा जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास आतंकवादियों के साथ मुठभेड में हुतात्मा हुए चार जवानों में शामिल थे। एक अधिकारी ने बताया कि उनका पार्थिव शरीर मीरा रोड स्थित उनके घर गुरुवार को पहुंचा। राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे ताबूत में उनके पार्थिव शरीर को बुधवार शाम मुंबई में परिवार के सदस्यों, सेना और अन्य अधिकारियों की उपस्थितगी में सौंपा गया।
गुरुवार सुबह फूलों से पटे ताबूत को सेना के ट्रक से उनके घर लाया गया, जहां पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मेजर कौस्तुभ के सम्मान में मीरा रोड के लोगों ने पूरे सडक को ही फूलों से पाट दिया था। सडक पर कई मीटर तक पीले फूल मेजर कौस्तुभ के सम्मान में डाले गये थे। जब उनका पार्थिव शरीर इस सडक से गुजर रहा था तो देशभक्ति गानों और लोगों की आंखों से बहते आंसुओं ने माहौल गमगीन बना दिया।
इस दौरान कई लोग ‘मेजर कौस्तुभ राणे अमर रहें’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे। इस दौरान कई लोगों ने तिरंगा लहराया और कई महिलाएं रो रही थीं। मंगलवार से राणे के गृहनगर में शोक का माहौल है। राणे के परिवार में उनके माता-पिता प्रकाश और ज्योति राणे, बहन कश्यपी, पत्नी कनिका और ढाई साल का बेटा अगस्तय है। अपने माता-पिता के इकलौते बेटे राणे ने पुणे से सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर सेना में शामिल होने का अपना बचपन के सपना पूरा किया था और बाद में उन्हें २०११ में चेन्नई की वीआईपी अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था।
बता दें कि ७ अगस्त को आतंकवादियों ने घात लगाकर सेना के गश्ती दल पर हमला किया था। इस दौरान मेजर कौस्तुभ अपने साथियों हवलदार जेमी सिंह, हवलदार विक्रमजीत और राइफलमैन मनदीप के साथ पेट्रोलिंग पर थे। सेना ने भी इस हमले में चार आतंकियों को मार गिराया था। रिपोर्ट के अनुसार ८ आतंकियों के समूह ने घुसपैठ की कोशिश की थी। सेना ने जब आतंकवादियों को जवाब देना शुरू किया तो बाकी बचे चार आतंकी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की ओर भाग गये।
स्त्राेत : जनसत्ता

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